Friday, March 25, 2011

गुलमोहर


मेरे आंगन में एक गुलमोहर लगा दो...
जिस से बातें करते-करते , वक़्त के हर लम्हे को मैं चुरा लूं,
शाम-सवेरे एक टक देखूं, जिसके दरश से मैं किस्सा बना लूं,
मेरे आंगन में एक गुलमोहर लगा दो...

गीले-गीले मौसम मैं फिर, जिसके रंग में, मैं तन यह रंगालूँ,
हंसती-गिरती पंखुड़ियों से मैं, अपना घर-बार सजा लूं,
मेरे आंगन में एक गुलमोहर लगा दो...

भोर की लालिमा में उगते, गुमोहर में, मैं रवि का भ्रम ना कहीं पा लूं,
चेहचाहती हुई चिड़िया जब बैठे उस पर, तो बसंत गीत मैं उस संग गा लूं,
मेरे आंगन में एक गुलमोहर लगा दो...

भरी दोपहरी वह पंख झेलता, उस के चरणों में बैठी मैं, ज़िन्दगी से राहत पा लूं ,
अपनी नारंगी कलियों का जो करे बिछोना, उस संग कैसे ना प्रीत लगा लूं,
मेरे आंगन में एक गुलमोहर लगा दो...

कुछ लाल, कुछ गुलाबी, कुछ नारंगी सपने, उसके फूलों जैसे बना लूं,
लगे सूखने जब पत्ते वह भूरे, उनको अपनी याद बना किताबून के बीच बसालूँ,
मेरे आंगन में एक गुलमोहर लगा दो...

बहार लाऊं मैं फिर से उसपर, उसके संग एक उम्र बिता लूं,
झूमे  गुलमोहर, तो थिरकूँ मैं भी, उसकी ताल में ताल मिला लूं,
मेरे आंगन में एक गुलमोहर लगा दो...

18 comments:

Sunil Kumar said...

मेरे आंगन में एक गुलमोहर लगा दो..
गुलमोहर से इतनी उम्मीद वाह भाव बहुत सुन्दर , बधाई

Satish Saxena said...

शायद पूरा मानव जीवन, सपनो की इर्द गिर्द ही रहता है ! यह सपने और अतृप्त इच्छाएं ही भावनाओं और व्यक्तित्व को जीवंत बनाए रखने में सहायक होती हैं ! हार्दिक शुभकामनायें , आपके आँगन में गुलमोहर के रंग बिरंगे फूल बरसें ....

Nirantar said...

"जो आँगन में
गुलमोहर लगाने की सोचता
गुलमोहर के साथ थिरकना चाहता
ताल से ताल मिला सकता
किसी फूल सा दिल रखता होगा
निरंतर फूल सा महकता होगा"
बहुत ख़ूबसूरती से विचारों का
अहसास कराया आपने

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बहुत सुंदर बिम्ब लेकर रची कविता ...बेहतरीन

Sushil Bakliwal said...

खूबसुरत प्रस्तुति... स्वागत...

हरीश सिंह said...

आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा , हिंदी ब्लॉग लेखन को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा आपका प्रयास सार्थक है. निश्चित रूप से आप हिंदी लेखन को नया आयाम देंगे.
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भारतीय ब्लॉग लेखक मंच
डंके की चोट पर

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

वाह कवि हृदय की बात ही कुछ और होती है

hamarivani said...

nice

Amit K Sagar said...

बहुत सुन्दर काव्य Creation.
---
आपके लिए एक जरूरी आमंत्रण @ उल्टा तीर (सिर्फ़ दो दिन शेष!)

TRIPURARI said...

बहुत खूबसूरत तरीक़े से अपनी बात कही है आपने !

कविता की रूह और पैरहन दोनों लाज़वाल हैं...

(सोच रहा हूँ गुलमोहर का पेड़ लगा दूँ आँगन में)

amrendra "amar" said...

मेरे आंगन में एक गुलमोहर लगा दो...
जिस से बातें करते-करते , वक़्त के हर लम्हे को मैं चुरा लूं,
शाम-सवेरे एक टक देखूं, जिसके दरश से मैं किस्सा बना लूं,
मेरे आंगन में एक गुलमोहर लगा दो...

bilkul hum jarur aapki manokamna puri karenge....
sunder rachna ke liye bahut bahut badhai.........

Anonymous said...

बहुत ही खुबसूरत
जारी रखे

Vijuy Ronjan said...

Gulmohar ke phool mujhe bhii bahut pyare lagte hain... aur jab wo batein karne ki sthiti mein a a jayen to fir bat kuchh aur ho jaati hai...

Behad khoobsurat...
badhayee

Amrendra Nath Tripathi said...

गुलमोहर जिसे देखने में एक रंग के फूल दिखेंगे, आपकी कविता पढ़ते हुये उसके कई रंग दिखे। यह अच्छा लगा। आभार..!

TRIPURARI said...
This comment has been removed by the author.
Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत अच्छी लगी आपकी कविता.

सादर

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

गुलमोहर से एक उम्मीद का नाता ..अच्छी प्रस्तुति

prerna argal said...

GULMOHAR se ummid ka daaman jodker bahu achche bhav liye shaandaar rachanaa.badhaai sweekaren.



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