Wednesday, March 16, 2011

एक चेहरा


सीने में बसर करता है, एक  चेहरा,
मासूम सा, मेरा अपना सा, मेरे ही अक्स जैसा...

थोडा नटखट,थोडा नमकीन,
मीठी-मीठी बातें करता, खट्टे मीठे ज़िक्रे कहता,
कभी शायरी के समंदर सा गहरे.. आंसुओ से नीले शब्द बुनता,
कभी पंछियों की तरह ऊँचे सुर पकड़ता,
एक चेहरा मेरा अपना सा...

हवाओं सा नाचता गाता,
तो कभी तूफानों सा बरस पड़ता ,
चंचला सी चमक लिए आखों में ,
सैकड़ों दिल अपने बालों  में लटकाए घूमता,
एक चेहरा मेरा अपना सा...

बच्चों की सी ज़िद करता,
रूठ जाता, बिखर जाता, और मिलने पर मासूम मुस्कान दे जाता,
बुजुर्गों की सी, ज़िन्दगी के लिए समझ रखता,
हर घूँट में पिया ज़िन्दगी का ज़हर... नीलकंठ सा  रोके रहता ,
एक चेहरा मेरा अपना सा...

हर  रोज़  ज़िन्दगी जीने के सपने देखता,
हर शाम उन्हें समेट कर, सिरहाना बना  कर  सो  जाता ,
एक शावक सा निश्छल... प्यार देने और पाने के लिए,
रोज़ जीता, रोज़ पोटली भर के खुशियाँ बांटता,
एक चेहरा मेरा अपना सा...

दोस्तों के लिए... आख़री हद तक लड़ता हुआ,
झूमता-गाता बादल का टुकड़ा है  वो ,
घर के लिए फलों  सा  मीठा मज़बूत पेड़ है वो,
अपने प्यार   लिये... सारा  जहां  है वो,
और अपने लिये???... जैसे हर नमाज़ के  बाद  दुआ  मांगना  भूल  जाता,
एक चेहरा मेरा अपना सा...

चांदनी रात सा शीतल ,
रजनी गंधा सी  साँसों सा, अपने जादू भरे हाथों से सहलाता ,
घायल दुनिया के, ज़ख्म भरने की  भरपूर कोशिश करता ,
सीने में जोश और पहाड़ों सी उचाइयां लिए ,
एक चेहरा मेरा अपना सा...

14 comments:

Satish Saxena said...

बिलकुल अपना सा ...
कभी कभी अपने से लोग मिल जाते हैं ...

Satish Saxena said...
This comment has been removed by the author.
संजय भास्‍कर said...

यथार्थमय सुन्दर पोस्ट

Deepak Saini said...

सुन्दर कविता
होली की शुभकामनाये

संजय भास्‍कर said...

इस कविता का तो जवाब नहीं !
विचारों के इतनी गहन अनुभूतियों को सटीक शब्द देना सबके बस की बात नहीं है !
कविता के भाव बड़े ही प्रभाव पूर्ण ढंग से संप्रेषित हो रहे हैं !

Satish Saxena said...

यह रचना बार बार खींचती है....

संजय कुमार चौरसिया said...

कविता के भाव बड़े ही प्रभाव पूर्ण ढंग से संप्रेषित हो रहे हैं !

होली की शुभकामनाये

Kavita Prasad said...

@शुक्रिया सतीशजी, इस रचना में हर शब्द सादगी और प्रेम से लिखा गया है, जिसमें आप अपने साथी से कुछ ना कह कर अपने आप से ही बातें करते हैं! शायद यही कारण है इसके सबके दिल में स्थान बनाने का...

मुकेश कुमार सिन्हा said...

एक चेहरा मेरा अपना सा...
har din ham bhi dhundhte hain..har jagah mil jaye! kahin bhi..:)

ek bhav-pravan rachna!

कविता रावत said...

हर रोज़ ज़िन्दगी जीने के सपने देखता,
हर शाम उन्हें समेट कर, सिरहाना बना कर सो जाता ,
एक शावक सा निश्छल... प्यार देने और पाने के लिए,
रोज़ जीता, रोज़ पोटली भर के खुशियाँ बांटता,
एक चेहरा मेरा अपना सा...
bahut badiya bharpurn rachna
haardik shubhkamnayen

Sunil Kumar said...

बच्चों की सी ज़िद करता,
रूठ जाता, बिखर जाता, और मिलने पर मासूम मुस्कान दे जाता,
बुजुर्गों की सी, ज़िन्दगी के लिए समझ रखता,
कविता जी आप तो अपने नाम को चरितार्थ कर रही है | शुभकामनायें

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति| धन्यवाद|

Nirantar said...

Sundar atee sundar

Amrendra Nath Tripathi said...

खयाल खूबसूरत है, इतने खयालों से बना चेहरा क्या मुमकिन?? यह यूटोपियायी चेहरा है, यथार्थ जगत इस आदर्श के लिये कहाँ?? पर जीने के लिये आदर्श जरूरी भी।

आभार..!