इस करवा चौथ पर बहुत कुछ कहना चाहती थी उनसे पर... दिल की बात आँखों तक ही रह गयी आप सब से बांटना चाहती हूँ शायद पसंद आये...
वो रौनक तेरे चेहरे की,
वो नज़ाकत तेरे लफ़्ज़ों की,
तमन्नाओं और आरज़ूओं में डूबी तेरे फ़लसफ़े की,
कशिश है तेरे जज़्बातों की...
वो आँखों में सादगी,
वो बातों में आग सी,
वो तीर सी मीठी मुस्कराहट,
कशिश है तेरे ख़्वाबों की...
वो चौड़ा सीना,
वो जिस्म मरस्स्म भीगा पसीना,
वो कलाईओं में दम,
कशिश है तेरे एहसास की...
वो डूबती हुई सोच,
वो कुछ पाने की खोज,
ज़माने को पाकीज़ा बनाने की चाह,
कशिश है तेरी फितरत की...
24 comments:
@दिल की बात आँखों तक ही रह गयी
भविष्य के लिये शुभकामनायें!
:)
खूबसूरत कविता...
इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी की जा रही है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
हमने जब मौसमें बरसात से चाही तौबा ,
बादल इस जोर से बरसा कि इलाही तौबा
:-)
वो रौनक तेरे चेहरे की,
वो नज़ाकत तेरे लफ़्ज़ों की,
तमन्नाओं और आरज़ूओं में डूबी तेरे फ़लसफ़े की,
कशिश है तेरे जज़्बातों की...बेहतरीन रचना.....
अलग अंदाज़....
सादर...
आपकी कविता पढके स्व .जगजित सिंग जी की सुनी एक गजल याद आई |
'कौन कहेता है मोहोब्बत की जुबाँ होती है ,
यह हकिकत तो निगाहों से बयां होती है |'
सुन्दर कविता के लिएँ बहोत -बहोत बधाई |धन्यवाद|
वो डूबती हुई सोच,
वो कुछ पाने की खोज,
ज़माने को पाकीज़ा बनाने की चाह,
कशिश है तेरी फितरत की...
बहुत सुंदर !!
भावपूर्ण रचन्ना के लिए बधाई स्वीकार करें.
दीपोत्सव की शुभकामनायें.
खूबसूरत रचना...
खूबसूरत कविता...
काफी दिन से लिखा क्यों नहीं कविता जी ...
कलम से नाराजी नहीं होनी चाहिए !
शुभकामनायें आपको !
पहली दफा आपके ब्लॉग पर आया हूँ.
आपको पढकर बहुत अच्छा लगा.
काशीः का अहसास खूबसूरत लगा.
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.
मेरे ब्लॉग पर आप आईं,इसके लिए बहुत बहुत आभार आपका.
आपके सुवचन मेरा उत्साहवर्धन करते हैं.
आनेवाले नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
दिल से निकले हुए एहसास..
बहुत सुन्दर अंदाज से लिखी सुन्दर प्रस्तुति..
har patni shayad apne pati se aisa hi kuchh kahan chahti hain.
कविता जी उड़ते एहसास को कुछ और उड़ाईयेगा न.
आपकी नई प्रस्तुति का इन्तजार है.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर फिर से आईएगा.
'मेरी बात...' पर अपनी भी कुछ कहियेगा.
नवरात्र के ४दिन की आपको बहुत बहुत सुभकामनाये माँ आपके सपनो को साकार करे
आप ने अपना कीमती वकत निकल के मेरे ब्लॉग पे आये इस के लिए तहे दिल से मैं आपका शुकर गुजर हु आपका बहुत बहुत धन्यवाद्
मेरी एक नई मेरा बचपन
कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: मेरा बचपन:
http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/03/blog-post_23.html
दिनेश पारीक
सुन्दर...प्रभावी रचना
Nice Article sir, Keep Going on... I am really impressed by read this. Thanks for sharing with us. Bank Jobs.
बहुत सुन्दर प्रभावपूर्ण रचना
बहुत सुन्दर अंदाज से लिखी सुन्दर प्रस्तुति
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