इस करवा चौथ पर बहुत कुछ कहना चाहती थी उनसे पर... दिल की बात आँखों तक ही रह गयी आप सब से बांटना चाहती हूँ शायद पसंद आये...
वो रौनक तेरे चेहरे की,
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वो नज़ाकत तेरे लफ़्ज़ों की,
तमन्नाओं और आरज़ूओं में डूबी तेरे फ़लसफ़े की,
कशिश है तेरे जज़्बातों की...
वो आँखों में सादगी,
वो बातों में आग सी,
वो तीर सी मीठी मुस्कराहट,
कशिश है तेरे ख़्वाबों की...
वो चौड़ा सीना,
वो जिस्म मरस्स्म भीगा पसीना,
वो कलाईओं में दम,
कशिश है तेरे एहसास की...
वो डूबती हुई सोच,
वो कुछ पाने की खोज,
ज़माने को पाकीज़ा बनाने की चाह,
कशिश है तेरी फितरत की...