प्रिय पाठकों,
आप सब परेशान हो रहे होंगे की मैं कहाँ व्यस्त हूँ इनदिनों,काफी प्रियजनों ने अनुमान भी लगा लिया होगा... माता जी का स्वर्गवास हो गया है! पिछले महीने १९ मई को उनका जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष समाप्त हुआ, और जीत उनकी ही हुई!!! आप सब सोच रहे होंगे कि जीवन स्वरुप धूप पर मृत्यु का कफ़न पड़ने के बाद भी कोई कैसे जीत सकता है| जैसा कि मैंने अपनी पोस्ट डर के आगे जीत है!!! मैंने उल्लेख किया था, उनका संघर्ष अपने सारे फ़र्ज़ पूरे करने का था| यूं तो हमसभी को कभी न कभी जाना ही है, परन्तु बहुत से लोग इस जीवन को व्यर्थ नहीं जाने देते, हमेशा कुछ न कुछ योगदान समाज में देते रहते हैं या फिर यथासंभव प्रयास करते रहते हैं| माँ के साथ यह सब और भी मुश्किल था चूँकि वह "सिंगल मदर" थीं|
हे भगवान! पहली बार उन्हें "थीं" लिखा मैंने...
हे भगवान! पहली बार उन्हें "थीं" लिखा मैंने...
सच में, सच को सुनना और सच को मान लेने में बहुत फर्क है| एक महीने से ज़यादा हो गया है उन्हें गए, लेकिन आज तक उनकी मौजूदगी का एहसास हमेशा रहता है| सफ़र करते वक़्त, खाते पीते, लिखते, फोन पर बात करते वक़्त, सुबह दिन शुरू करने से पहले और अक्सर सोने से पहले उनकी हर एक हरक़त, हरेक भाव, हरेक स्पर्श ज़ेहन में घूमता रहता है| पता नहीं क्यों रोना नहीं आता बस उन्हें याद करना और करते रहना अच्छा लगता है, फिर जब महसूस होने लगता है की अब उनतक पहुँच नहीं सकती तो आँखे नम हो आती हैं| पता है, उन्होंने ही मुझे प्रकति और विज्ञान को जोड़ना सिखाया था| हर एक चीज़ में वह तर्क ढूँढती थीं| ज्ञान की बहुत चाह थी उनमें, हमेशा खाना खाते वक़्त अखबार का कोई टुकड़ा या पत्रिका, या फिर कुछ भी नामिले तो हम लोगों की ही कोई पाठ्य पुस्तक उठा कर पढ़ती रहती थीं| कोई भी कागज़ उनके हाथ के नीचे से बिना पढ़े नहीं जाता था| गीतों का कोई शौक नहीं था उन्हें पर फिल्में अक्सर पसंद करती थीं, शायद वह फिल्में उन्हें पिताजी के साथ बिताये कुछ लम्हे याद दिला देती थीं|
बहुत सादी थीं मेरी माँ, बिलकुल तस्वीरों जैसी थी, सुन्दर नाक-नक्श, लम्बा कद, कमर से नीचे काले-घने लम्बे बाल, सुघड़, मुस्कान तो उनकी सबसे-सबसे-सबसे अच्छी थी| आंखें थोड़ी छोटी थीं पर उनकी चमक उनके ढ़ेर सारे संस्कारों और मज़बूत व्यक्तिव का परिचायक थी| बड़ी लाल बिंदी उनके व्यक्तिव को और निखार देती थी| बहुत सुन्दर, बिलकुल भारतीय नारी सी गरिमा थी उनकी| साड़ी बहुत भाती थी उन्हें पर पिताजी के बाद काफी कम करदिया था साड़ी पहनना उन्होंने| आधुनिता और भारतीयता का अच्छा संगम था उनके वक्तित्व में, आफ़िस में हमेशा नया सीखने की ललक थी उन्हें और लंच टाइम में वह और उनकी सह्कर्मियाँ एक दुसरे को भजन लिखवाती थीं| ऐसा कोई व्रत नहीं था जो उन्होंने न किया हो, और पूजा अर्चना में सदैव नियम रखती थीं, यहाँ तक की अपने निधन से कुछ दिन पहले जबतक वह चल फिर रही थीं, वह पुरानी दिल्ली, अपने गुरु महाराज की राम नवमी की संगत में भी हमसे लड़कर गयी थीं|
हर काम भगवान को समर्पित करदेना और हर काम उनके लिए करना उनके संस्कारों में से एक था| भोजन को सदैव प्रसाद समझ कर बनाना चाहिए और पहले निवाले से पहले भगवान् को "रोटी" के लिए आभार व्यक्त करना चाहिए मैंने उन्ही से सीखा है| हर माँ की तरह वह भी अपने दुःख बहुत कम बांटती थी, और ज़रुरत से ज्यादा प्यार देती थीं| अभी तक तो उनके लिए लिखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी और अब जब कहना शुरू किया है तो शब्द कम पड़ रहे हैं| देखिये ना, जो बात कह रही थी उसे छोड़ कर कहाँ तक आ गयी हूँ| लेखन भी भूल गयी हूँ शायद अब...
हर काम भगवान को समर्पित करदेना और हर काम उनके लिए करना उनके संस्कारों में से एक था| भोजन को सदैव प्रसाद समझ कर बनाना चाहिए और पहले निवाले से पहले भगवान् को "रोटी" के लिए आभार व्यक्त करना चाहिए मैंने उन्ही से सीखा है| हर माँ की तरह वह भी अपने दुःख बहुत कम बांटती थी, और ज़रुरत से ज्यादा प्यार देती थीं| अभी तक तो उनके लिए लिखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी और अब जब कहना शुरू किया है तो शब्द कम पड़ रहे हैं| देखिये ना, जो बात कह रही थी उसे छोड़ कर कहाँ तक आ गयी हूँ| लेखन भी भूल गयी हूँ शायद अब...
माँ की जीत इसलिए कह रही थी चूँकि उन्होंने अपने संघर्ष, बलिदान, त्याग, आशीर्वाद और ढ़ेर सारे प्रेम से पिताजी जी को दिया अपना आखरी फ़र्ज़ भी पूरा किया|
जी हाँ, आप सब की शुभकामनाओं और सप्रेम आशीर्वाद से हमने भाई की शादी करवा दी थी| उनकी मृत्यु से तीन दिन पहले ही विवाह संपन्न हुआ| वह विवाह में भाग तो नहीं ले पायीं परन्तु वरवधू को आशीर्वाद उन्होंने ICU में ही दिया था| इसबात की हमारे पूरे परिवार को तसल्ली है की शरीर त्यागने से पहले वह पूरी तरह से निश्चिन्त थीं|
जी हाँ, आप सब की शुभकामनाओं और सप्रेम आशीर्वाद से हमने भाई की शादी करवा दी थी| उनकी मृत्यु से तीन दिन पहले ही विवाह संपन्न हुआ| वह विवाह में भाग तो नहीं ले पायीं परन्तु वरवधू को आशीर्वाद उन्होंने ICU में ही दिया था| इसबात की हमारे पूरे परिवार को तसल्ली है की शरीर त्यागने से पहले वह पूरी तरह से निश्चिन्त थीं|
मैं आपसब सहभागियों का आभार व्यक्त करती हूँ, जिन्होंने ब्लॉग जगत का हिस्सा होने के नाते मुझे और मेरे परिवार को कैंसर से संघर्ष के दिनों में हौसला बढाया| मन से निकली हर दुआ में ताक़त होती है, आप सबका प्यार इस बात का सबूत है| माँ की अंतिम इच्छा को पूर्ण करवाने के लिए आपने जो शुभकामनायें, सहयोग और आशीर्वाद दिए, मैं उसके लिए नमन करती हूँ|
हार्दिक धन्यवाद!
कविता
17 comments:
मार्मिक यादें ....
लगता है बहुत स्नेही थीं आपकी माँ !
अंतिम समय उन्होंने अपनी पुत्रवधू को देख कर ही इस नश्वर शरीर का त्याग किया ...यह बहुत अच्छा रहा !
शायद आपको अधिक जिम्मेवारी दे गयीं हैं वे ....
उनको सादर श्रद्धांजलि !
हार्दिक शुभकामनायें आपको !
माँ को भूलना तो मुमकिन ही नहीं है | उनकी याद आशीर्वाद के रूप में आपके साथ रहेंगी |
आपकी माँ को विनम्र श्रद्धांजली ...
मां को विनम्र श्रद्धांजलि। शत-शत नमन।
माँ पर आपकी पोस्ट पढ़ मन द्रवित हो आया, दायित्वपूर्ण भी. मातृ-तत्व तो आपके ह्रदय-स्पंदनों का गवाह है, वह साथ है, बस जो गोचर था वह अगोचर हो गया है, शाश्वत हो गया है, ईश-रूप हो गया है!! इस पोस्ट को पढ़ते हुए सभी को अपनी माँ जरूर याद हो आयेगी. उरिन होना असम्भव होता है, अपनी कहूं तो स्त्री का यह सबसे प्रिय रूप है मुझे, सबसे प्रिय रिश्ता, खुदा ने जैसे कई कमियों को एक रिश्ते से भर दिया हो!! सबने प्रार्थना की थी, आपकी माँ ने पुत्रवधू को आशीष देने की अपनी अभिलाषा पूर्ण की, हम सब ईश के शुक्रगुजार हैं! माँ का मजबूत व्यक्तित्व आपमें विराजे! श्रद्धांजलि !!
May her soul rest in peace and give the family strength to face her abscence
हार्दिक श्रद्धाँजलि।
श्रद्धांजलि! माता-पिता शरीर छोडने के बाद अपनी संतति के दिल में रहते हैं, उनकी याद भी दिल को तसल्ली और प्रसन्नता देती है।
माता जी को हार्दिक श्रद्धांजलि.
-----------------------------------------
आपकी एक पोस्ट की हलचल आज यहाँ भी है
माताजी को विनम्र श्रद्धांजलि!
such emotional post...
माता जी को हार्दिक श्रद्धांजलि...
जानकार दुःख तो हुआ लेकिन हमारे हाथ में कुछ भी नहीं है ..जीवन की नियति भी यही है ...ईश्वर करे आप इस दुःख की घडी को सहन कर पायें .....! आपकी माता जी को विनम्र श्रद्धांजलि... ..!
आपकी माताजी के बारे में पढ़कर मन द्रवित हो गया .....!
bahut dukhad hai...ishwar unki aatma ko shanti dein
आपकी माँ के लिए हार्दिक श्रद्धाजंलि...अपने पिता याद आ गए...जो आज भी आसपास अपने होने का एहसास कराते हैं..
Meenakshiji,
वह हमेंशा आपके पास रहेंगे, आपको ढेर सारा स्नेह!!!
पत्र के माध्यम से माँ को अप्रित शब्दांजलि पर मन आ कर ठिठक गया।
..माँ की याद आ गई।
..मार्मिक पोस्ट।
Post a Comment