Sunday, May 1, 2011

डर के आगे जीत है!!!

विज्ञापन के यह शब्द माँ ने मुझसे उस प्रश्न के जवाब मैं दिए थे, जब दूसरे ओपरेशन के बाद वह ठीक होकर अपने कमरे मैं आ गयी थीं| मेरी दोनों हथेलियों  ही गर्माहट और आँखों की नमी की ठंडक एक माँ का मन  शायद पढ़ चुका था| आँखों में ख़ुशी के आंसू, माँ की घटित तकलीफ की बूंदों में मिल चुके थे... समझ नहीं पा रही थी, कि उनके लीवर के ओपरेशन कि सफलता में रोऊँ  या उनकी पीड़ा को महसूस करके चीख़ पडूँ|

"माँ", यह नाम अपने आप में प्रेम, त्याग और शक्ति का संबल है| हर माँ अपने बच्चों और परिवार के पालन पोषण के लिए अपना अस्तित्व भी दाव पर लगा देती है, परन्तु विधाता कुछ चुनिंदा  लोगों को सहिष्णुता की पराकाष्ठा मापने के लिए निर्धारित करता है| पिताजी के गुजरने के समय वह मात्र ३६ साल की गृहणी थीं, जो समय किसी भी महिला के जीवन मैं सुख और संतोष लिए हुए आता है
माँ  के लिए वह समय बलिदान, आत्मसम्मान, और कठोर परिश्रम लिए हुए आया|
गाँव में पली बढ़ी लड़की अब महानगर मैं कार्यरत महिला थीं|

समाज को मर्यादा में बाँधकर अपने परिवार का आत्मसम्मान कैसे ऊँचा रखा जाता है, माँ उसका जीता जगता उदहारण थीं|  एक तनख्वाह में ३ बच्चों का पालन-पोषण और सामाजिक रिवाजों को वहन करना उन्होंने बखूबी सीख लिया था| अब जब हम सब बड़े हो गए और समाज में अपना स्थान बनालिया तो माँ को लगा की अब शायद दिन फिर जायेंगे... परन्तु नियति को शायद अभी उन्हें और तपा कर सोने से पारस  बनाना था| २००९ में उन्हें कैंसर हो गया| ४९ साल में ही मानो हम सब के लिए प्रलय आगई थी| बहुत अजीब हालत थी सब की,  हम चेहरों  पर मुस्कान और उम्मीद लिए हुए उनका सामना करते थे, परन्तु कहते हैं ना की एक माँ का ह्रदय बच्चों की धड़कने भी पढ़ लेता है, ऐसे ही वह भी हमारे दर्द को पहचान कर हमें संबल देतीं और हमेशा अपने आप में विशवास बनाये रखने को कहती थीं| वह पूरे  विशवास  से  हमें  कहती  थीं  की 
"जब  तक  डरते  रहोगे  जीत  नहीं पाओगे, डर को भूल कर देखो ज़यादा से ज़यादा क्या होगा..." वह वीरांगना विजयी हुई और २०१० मार्च में कीमो और RT की पीड़ा से उन्होंने अपने शरीर और हमारे मन को मुक्त करा लिया|
कई महीनों तक हम विजेता की भांति समाज में फैल रहे कैंसर के अंधविश्वासों को भेदते रहे, पता ही न चला की कैंसर का वह दैत्य कब फिर घर कर गया, मेरे और इनके बौद्ध धर्म अपनाने का कारण और कारक, धीरे-धीरे साफ़ होने लगा था| इस बार मम्मी कमज़ोर पड़ रही हैं और मेरा विशवास अपने चरम पर है| डॉक्टर ने इलाज एक तरह से बंद ही कर दिया है, कहते हैं की "अब कुछ करने की गुन्जायिश ही नहीं रही... चंद दिन बचे हैं, ज़यादा हाथ-पैर मत मारिये, परेशानी  आप ही को होगी"|
अब मुझे  डर नहीं लग रहा, सिर्फ कर्म करने की इच्छा है की किसी तरह भाई की शादी माँ के हाथ से करा सकूं... वोह माँ जो इस उम्मीद  में मौत की चौखट तक पहुँच गई की एक बार अपने सब बच्चों को दुनियादारी में सफल देख सकूं| खुद के लिए कभी कोई रंग नहीं चाहा सिर्फ सफ़ेद रंग में ही दुनिया बसा ली| अपने हालातों से कभी समझौता न करने वाली मेरी माँ आज जीवन-मृत्यु के गोरख धनंदे में से जीवन के कुछ पल जीतना चाहती हैं, हॉस्पिटल के दर्द में बच्चों के सपनों को पूरा करना चाहती हैं| अपने आखरी क्षणों में भी लड़ रही हैं वह, मानो कह रही हो कि मैं  अपनी झाँसी नहीं दूँगी|
आज प्रभु से यह ही कामना है की अपने समय-चक्र को थोडा सा धीरे करदे और अपने अनमोल बच्चों की आकांशाओं को पूरा करने का साहस दे| जीवन भर जिसे सुख के लिए तरसा दिया उसे मौत के वक्त मुस्कान और संतोष दे| ज़िन्दगी की रेत से जिस सोने को रगड़ कर पारस बना दिया उसे दूसरों  की ज़िन्दगी रौशन  करने का मौका तो दे|
हे ईश्वर मेरी माँ को स्वस्थ ज़िन्दगी दे!!!

25 comments:

ZEAL said...

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प्रिय कविता ,

मन में हौसला रखिये आपके भाई का विवाह अवश्य हो जाएगा और वो भी माँ के हाथों से ही। मन में दुःख मत रखिये । इस समय माँ के स्वास्थ पर पूरा ध्यान दीजिये । माँ को यथा संभव प्रसन्न रखिये ।

मैं इश्वर से प्रार्थना करूंगी की माँ को स्वास्थ लाभ हो । माँ से बढ़कर कोई नहीं होता ।

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Sunil Kumar said...

इश्वर से प्रार्थना करूँगा की माँ को स्वास्थ लाभ हो
और माँ के आगे कुछ नहीं ...........

Deepak Saini said...

ईश्वर माता जी को जल्दी स्वस्थ करे

Satish Saxena said...

शादी के बाद बच्चों को पालने पोसने और बड़े घर का ध्यान रखने में २५ वर्ष कैसे बीत जाते हैं कई बार पता तक नहीं चल पाता,
जिम्मेवारियों से निवृत्त होते होते अगर यह पता चले कि तुम्हे कैंसर हो चूका है तो सामने सिर्फ अन्धकार दिखता है ! यहीं पर महसूस होता है कि इस युग में ईश्वर के यहाँ भी न्याय नहीं है !

अब इस समय आपके बहन भाइयों का यह फ़र्ज़ है कि विभिन्न औषधियों कि तलाश करते करते, उन्हें जी भरकर प्यार दें !
इतना प्यार कि उन्हें जीवन से कोई शिकायत न रहे ....

मैं इस कष्ट में आपके साथ हूँ कविता .....

हार्दिक मंगल कामनाएं !!

Kavita Prasad said...

शुक्रिया सतीशजी, दिव्याजी, सुनीलजी और दीपकजी! आपकी कामनायें मेरा और परिवार का हौसला बढ़ा रही हैं| प्रार्थनाओं और मार्गदर्शन की इतनी ज़रुरत जीवन में कभी नहीं हुई...
हार्दिक आभार!
@ सतीशजी आपसे औषधियों के बारे में सलाह में व्यक्तिगत रूप में लेना चाहूंगी|
धन्यवाद!

vandana gupta said...

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (2-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/

मनोज कुमार said...

आपकी प्रार्थना में हम भी शामिल हैं। त्याग, संघर्ष और साहस की प्रतिमूर्ति आपकी मां के चेहरे पर हंसी-खुशी लौटेगी और आपकी इच्छा पूरी होगी, ऐसी कामना है।

Smart Indian said...

शायद पहली बार ही आपके ब्लॉग पर आया। समझ नहीं पा रहा हूँ क्या कहूँ। कई बार शब्द अपना अर्थ खो बैठते हैं कई बार उनकी सीमायं होती हैं। हृदय और आँखें आर्द्र हैं - ईश्वर कृपा करे!

Amrendra Nath Tripathi said...

दुखी हूँ, सब जान सुन कर। यह पोस्ट शुरुआत में ही पढ़ता तो पिछली पोष्टें पढ़ने की हालत में न रहता।

अब मैं शब्दों में क्या कहूँ, साहस बनाये रखिये, माँ को खुशी रखिये, उनसे वे सारी इच्छाएँ जानिये- सपने जानिये जिन्हें उन्होंने देखा होगा उन्हें पूरा कीजिये/कीजियेगा आगे भी। माँ भाई की शादी देखकर खुश हों, ईश्वर इसके लिये शक्ति-संयोग बनाए। आमीन !!

ईश्वर से प्रार्थना है कि वह आप लोगों के साथ रहे!!

Maheshwari kaneri said...

मैं ईश्वर से प्रार्थना करूंगी की माँ को स्वास्थ लाभ हो । माँ से बढ़कर कोई नहीं होता ।
मैं इस कष्ट में आपके साथ हूँ

जयकृष्ण राय तुषार said...

बहुत सुंदर पोस्ट कविता जी बधाई और शुभकामनाएं |

Arvind Mishra said...

मानसिक झंझावात के इस काल में हमारी संवेदनाएं आपके साथ हैं -
कुछ परिस्थितियों पर मनुष्य का वश नहीं ,वह निमित्त मात्र होकर ही रह जाता है ..
ऐसे वक्त धैर्य ही एकमात्र साथी है !

योगेन्द्र मौदगिल said...

माँ की दीर्घायु लिए अनंत-असीम शुभकामनाएँ.
आप स्वयं को संभाले और प्रार्थना करें माँ जरूर ठीक हो जाएंगी.
शेष शुभ.
साधुवाद.

रश्मि प्रभा... said...

shubhkamnayen ho... to phir kaisi chinta

Kavita Prasad said...

@ वंदनाजी, मनोज भाई, अनुरागजी,अमरेन्द्र, माहेश्वरीजी, जय कृष्णजी, अरविन्द सर, मोदगिल साहब, रश्मिजी :]
आपकी मंगल कामनाओं और साथ के किये आभारी हूँ| इस संवेदनशील घड़ी में एक चर्चित गीत याद आ रहा है आपसब के लिए...
"जीत जायेंगे हम तू अगर संग है"

धन्यवाद!!!

Kunwar Kusumesh said...

जिसके बच्चे आप जैसे समझदार और सुशील हो उस माँ को भला कैसे कोई दिक्कत हो सकती है.मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनायें और ईश्वर से प्रार्थना भी की वो आपकी माँ को स्वस्थ और सुखी रक्खे.

Nirantar said...

बलिदान,आत्मसम्मान,
और कठोर परिश्रम से
जीने वाला
प्रेरणा स्त्रोत्र होता
भाग्यशाली होते हैं वो
जिनको निरंतर इनका साथ
और मार्गदर्शन मिलता
keep expressing
best wishes

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

प्रभु शांति प्रदान करे.

Anonymous said...

Kavitaji!
You are most lucky person as you have the utmost personalities ,family, friends to support & stand with you on your mom's Illness thru your blog. But, there are many orphans , destitute old & young who are suffering from this. Think for a moment who is with them ? People seek their sympathy & attention with their way of writing in blog which I feel should be Avoided.No hard feelings its my personal view.Regards

Kavita Prasad said...

@Dear Anonymous,
I feel worry about your Hindi knowledge, this post is about my personal feeling for my mother. Sorry to say but you haven’t even absorb the heading of my post.

Kindly read it once :] or translate this in English.

No hard feelings :]

Anonymous said...

Dear kavitaji ! Sorry if i had hurt you. I come from the land you are.I am a Hindi Scholar But request you to read the comments wherein more sympathy is projected than on the written post :-))
No hard feelings. I think you need to understand the language.Regards

SANDEEP PANWAR said...

अब आपके साथ बात ही ऐसी है कि क्या कहे हम, सदा खुश रहो।

Arunesh c dave said...

जीवन मे तकलीफ़ें और मुसीबतें तो हम नही रोक सकते पर उनसे लड़ने के मार्ग को चुनना हमारे हाथ मे है । एक ओर गीता है और एक ओर सांसारिक बंधन श्रेष्ठ वही है जो दुख को भी परे कर सके और कर्म बंधन भी निभा सके पूर्णता तो आना मुश्किल है पर percentile मे अवश्य इंसान बेहतर प्रयास कर सकता है ।

डॉ. मोनिका शर्मा said...

हृदयस्पर्शी पोस्ट है कविता जी ...माताजी को स्वास्थ्य लाभ की शुभकामनायें

Kavita Prasad said...

"... request you to read the comments wherein more sympathy is projected than on the written post :-))"

Dear Anonymous,
I'm glad that now you have noticed the essence of my post. As initially u was talking about my post and now u r pointing out to the comments :] चलिए, अब जब आप हमारी ही मात्र-भाषा से सम्बन्ध रखते/ती हैं, तो आप से भाषा की कक्षा भी ले लेंगे| आख़िर ज्ञान तो जहाँ से भी मिले सहजता से ले लेना चाहिए :] (चाहे हिंदी का ज्ञान अंग्रेजी मैं ही क्यों न हो)|

आभार!!!