"हम वर्ल्ड कप जीत जाये", "हमारा भारत जीत गया", "भारत की विजय गाथा", "टीम इंडिया ने भारत को गौरान्वित किया"... यह सब और इनके जैसे सैकड़ो हेड लेंस ने, हमें गौरान्वित किया, हमें हर्षौल्लाहित किया, हममे से कई लोग रो भी पड़े थे, खूब नाचे-गाये और हर भारतीय ने अपने-अपने तरीके से अपना उत्साह और ख़ुशी ज़ाहिर की, आज भी कर रहे हैं| वह सब भाव सच्चे थे, हम सभी का अपने देश, अपने राष्ट्र, अपने भारत के प्रति प्रेम और गर्व था; पर ना जाने क्यों मेरे मन से दोपहर की घटना नहीं निकल पा रही थी, मैं इतनी बड़ी ख़ुशी में भी कई प्रश्नचिन्हों को अपने आस-पास मंडराते हुए देख रही थी|
सोच रही थी की सब लोग खुश हैं तो इस गंभीर विषय को कोई सुनेगाभी या बस यों ही लापरवाही में उड़ा देंगे? आप सब लोगों का मन नहीं ख़राब करना चाहती थी इसी लिए पोस्ट लिखने में इतने दिन लगा दिए...
बात शनिवार की है, सुबह से ही मैं, भाई और मामाजी हॉस्पिटल में, डॉ. से मिलने का इंतज़ार कर रहे थे| समय निर्धारित होने के बावजूद हमें दोपहर तक इंतजार करना पड़ा| खैर, वक्त गुज़र रहा था और हॉस्पिटल में भीड़ बढ़ रही थी| राजीव गाँधी में हर एक माले पर संयुक्त बैठक है, और बड़ी-बड़ी टीवी स्क्रीन पर लोग कभी समाचार तो कभी हालत का जायजा लेते नज़र आते हैं| उस दिन सभी लोग बेसब्री से मैच शुरू होने का इंतज़ार कर रहे थे, मैं लॉबी की बजाये डॉ के कमरे के बाहर ही बैठी थी... मैच शुरू हुआ, मारे ख़ुशी के मैं फटाफट बाहर आई; उस समय राष्ट्र-गान चल रहा था, मैं भी रुक कर गाने लगी... राष्ट्र-गान ख़त्म हुआ, जब निगाह स्क्रीन से हटी तो देख कर आहात हो गई कि एक भी सज्जन ना तो खड़ा ही हुआ था और ना ही किसी ने राष्ट्रगान गाया| सब के सब मुझे देख रहे थे, मानो मैंने कोई अपराध कर दिया हो... हद तो तब हो गई जब मेरा भाई भी बैठा रहा और जब मैं उसके पास जा कर बैठी तो मुझे डांटते हुए बोला कि "तू ज़यादा देशभक्त है क्या? क्या ज़रूरत थी खड़े होने कि???"
इसके बाद मुझे काटो तो खून नहीं, समझ नहीं आ रहा था कि, किस किस से जा कर पूछूँ देशभक्ति का अर्थ? क्यों कोई भी खड़ा नहीं हुआ था? उन सब को किसबात से शर्मिंदगी थी? अपने आप से या अपने देश से?
आप ही बताईये कि क्या हमारे राष्ट्र ने हमें इतना भी उत्साह और प्रेम नहीं दिया जिसके बदले में हम उसे सम्मान दे सकें? गर्व से राष्ट्र-गान गा सकें? जब कप जीत लिया तो दिल खोल के देशप्रेम ज़ाहिर किया, और रोज़? क्या हम अपने देश को हर रोज़ सम्मान नहीं दे सकते? क्या हमें स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस का ही इंतज़ार करना चाहिए? या फिर वर्ल्ड कप और कॉम्मनवेअल्थ जीतने का?
8 comments:
आपका प्रश्न एकदम जायज है
हम अपने ही राष्ट्रगान के सम्मान मे खडे नही हो सकते क्या हो गया है हमे?
आपने राष्ट्र-गान पर खड़े होकर एक सच्चे-और अच्छे नागरिक होने का परिचय दिया है.मन में किसी प्रकार कि ग्लानी मत आने दें.ख़ुशी हुई देश के प्रति आपकी भावनाएं देखकर.कोई क्या कहता है इसकी चिंता न करें.
"तू ज़यादा देशभक्त है क्या? क्या ज़रूरत थी खड़े होने कि???"
जिस दिन देशवासी ये समझ जायेंगे
भारत भारत बन जाएगा
अच्छा सोच
One of my recent poems:
मुल्क को नेता नहीं,कर्ता चाहिए
मुल्क को नेता नहीं
कर्ता चाहिए
भक्षक नहीं रक्षक
चाहिए
भ्रष्ट तंत्र नहीं प्रजातंत्र
चाहिए
गरीब को पेट में रोटी
सर पर छत चाहिए
ज़ुल्म
सहने वाले को न्याय
करने वाले को सज़ा
चाहिए
निरंतर अराजकता का
खात्मा चाहिए
युवाओं में नया जज्बा
चाहिए
वक़्त आ गया
फिर एक क्रांती
चाहिए
10-04-2011
641-74-04-11
आपने राष्ट्र-गान पर खड़े होकर एक सच्चे-और अच्छे नागरिक होने का परिचय दिया है|
दुर्भाग्य से राष्ट्र सम्मान के प्रति चेतना का बेहद अभाव महसूस होता है, शिक्षा घर से ही शुरू होनी चाहिए और प्रथम शिक्षक माता पिता है, अफ़सोस है कि यह बेसिक ज्ञान शायद ही किसी घर में बच्चों को सिखाया जाता है कि राष्ट्र ध्वज का महत्व और सम्मान कैसे हो !
शायद ही कोई अपने घर पर राष्ट्र गान के समय खड़ा होता होगा !
हार्दिक आभार चेतना झकझोरने के लिए !
@सतीशजी,
हर अभिभावक यही चाहता है की उनके बच्चे राष्ट भक्त हों, एक सम्मान करता है और दूसरा नहीं करता तो इसमें माता-पिता की गलती कहाँ है? उन्होंने तो सभी को एक ही शिक्षा दी है और जहाँ तक मेरा मानना है तो हर घर में राष्ट्रभक्ति के बारे में बात होती है यह यह बच्चे पर है की वह क्या ग्रहण करता है और क्या नहीं|
नयी जमात ऐसे ही है। इसमें भावुकता-भक्ति(राष्ट्र ही सही) सब सतही ज्यादा दिखती है। नगरीकरण जिसे सभ्यता की कसौटी में भी रखा जाता है, उससे भले मेरा गाँव है।
बचपन से ही बतायी दो चीजें याद है:
१- किसी के घर से भी शंख-ध्वनि आये, तो भगवान को हाथ जोड़ कर खड़े हो जाना चाहिये।
२- राष्ट्र गीत होने पर भी अपनी जगह से खड़े हो जाना चाहिये।
Direct Dilse... Apki post padh kar bahut achha laga Kavitaji.
Shubhkaamnayain
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